राजेश बिस्सा की कवितायें - :


Sunday, October 31, 2010

सकारात्मकता में ही निदान

सकारात्मकता में ही निदान

उठ बढ़ चल मत छोड़ सार्थक प्रयास
विजय सुनिश्चित ना लगा हार के कयास

जैसी सोच वैसी दिशा मिले
तभी इंसा चांद तक पहुंचे
मुसीबतें नहीं व्यवधान
इनका हल जीवन उत्थान
नकारत्मकता नहीं समाधान
सकारात्मकता में ही निदान

उठ बढ़ चल मत छोड़ सार्थक प्रयास
विजय सुनिश्चित ना लगा हार के कयास

समय से आगे कोई ना बढ़ा
पर मन सदा आगे दिखा
मन के भाव राह बनाते
वही मुश्किलों पर फतह कराते
नकारत्मकता नहीं समाधान
सकारात्मकता में ही निदान

उठ बढ़ चल मत छोड़ सार्थक प्रयास
विजय सुनिश्चित ना लगा हार के कयास

स्थिर पहाड़ वहीं बना रहता
नदिया को सम्मान मिलता
दुनिया का दस्तुर ही ऐसा
प्रगतिवान पर शीश झुकता
नकारत्मकता नहीं समाधान
सकारात्मकता में ही निदान

उठ बढ़ चल मत छोड़ सार्थक प्रयास
विजय सुनिश्चित ना लगा हार के कयास
___ राजेश बिस्सा 01-11-2010