राजेश बिस्सा की कवितायें - :


Thursday, March 19, 2009

जीत ले जहां

जीवन आशा और विश्वास
के सहारे चलता है
निराशा का कोई स्थान नहीं यहां
हर पल आगे देखना और
प्रगतिपथ पर बढ़ जाना
बना तेरी फितरत
जीत लेगा जहां
कमजोरों का साथ कोई नहीं देता
जानकर भी व्यक्ति अपने को
दुर्बल क्यों समझता है
यह मैं आज तक नहीं समझा
पर जो दूसरों का सहारा बन जाता है
वो कभी कमजोर नहीं रहता
यह शाश्वत सत्य जान
जिस दिन बन जायेगा
सहारा तू बदनसीबों का
नहीं कह सकेगा कोई दुर्बल
तू जीत लेगा जहां ॰॰॰॰

राजेश बिस्सा॰॰॰॰ 20-03-2009

Saturday, March 7, 2009

आगे बढ़ना है

''आगे बढ़ना है''

जीवन यात्रा में अनेक पड़ाव
कठिन भी आयेंगे
हमें डिगना नहीं है
सब दिन
एक से नहीं होते
यह समझना है
आज छाँव है तो
कल धुप भी होगी
आज हारें है तो क्या
कल जीत भी होगी
दुर्भाग्य पर जीत
सौभाग्य की होगी
भले ही नकारे जाऒ आज
मगर कल
स्वीकारिता भी होगी
जीवन बड़ा लंबा है
निरंतर चलना है
हर मुश्किले
हल अपने साथ लाती हैं
यह समझना है
इसीलिये निडरता से
रौशनी का मार्ग बनाते
चलना है, आगे बढ़ना है


॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ राजेश बिस्सा

Monday, March 2, 2009

जीवन जंग जीतना है ॰॰॰॰॰॰

आगे बढ़ो

आगे बढ़ो
जीवन का पथ
नहीं सरल
पर इतना भी
नहीं गरल
जो सोच लिया
बस ठान लो
कामों को
अंजाम दो...
डरो मत लडो
बढ़ना जरूरी
खुशियाँ चल
आएँगी पास
नव प्रभात
होगा जीवन में
कर तमस का
समूल नाश ॰॰॰॰
राजेश बिस्सा