जीवन आशा और विश्वास
के सहारे चलता है
निराशा का कोई स्थान नहीं यहां
हर पल आगे देखना और
प्रगतिपथ पर बढ़ जाना
बना तेरी फितरत
जीत लेगा जहां
कमजोरों का साथ कोई नहीं देता
जानकर भी व्यक्ति अपने को
दुर्बल क्यों समझता है
यह मैं आज तक नहीं समझा
पर जो दूसरों का सहारा बन जाता है
वो कभी कमजोर नहीं रहता
यह शाश्वत सत्य जान
जिस दिन बन जायेगा
सहारा तू बदनसीबों का
नहीं कह सकेगा कोई दुर्बल
तू जीत लेगा जहां ॰॰॰॰
के सहारे चलता है
निराशा का कोई स्थान नहीं यहां
हर पल आगे देखना और
प्रगतिपथ पर बढ़ जाना
बना तेरी फितरत
जीत लेगा जहां
कमजोरों का साथ कोई नहीं देता
जानकर भी व्यक्ति अपने को
दुर्बल क्यों समझता है
यह मैं आज तक नहीं समझा
पर जो दूसरों का सहारा बन जाता है
वो कभी कमजोर नहीं रहता
यह शाश्वत सत्य जान
जिस दिन बन जायेगा
सहारा तू बदनसीबों का
नहीं कह सकेगा कोई दुर्बल
तू जीत लेगा जहां ॰॰॰॰
राजेश बिस्सा॰॰॰॰ 20-03-2009
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