राजेश बिस्सा की कवितायें - :


Thursday, March 19, 2009

जीत ले जहां

जीवन आशा और विश्वास
के सहारे चलता है
निराशा का कोई स्थान नहीं यहां
हर पल आगे देखना और
प्रगतिपथ पर बढ़ जाना
बना तेरी फितरत
जीत लेगा जहां
कमजोरों का साथ कोई नहीं देता
जानकर भी व्यक्ति अपने को
दुर्बल क्यों समझता है
यह मैं आज तक नहीं समझा
पर जो दूसरों का सहारा बन जाता है
वो कभी कमजोर नहीं रहता
यह शाश्वत सत्य जान
जिस दिन बन जायेगा
सहारा तू बदनसीबों का
नहीं कह सकेगा कोई दुर्बल
तू जीत लेगा जहां ॰॰॰॰

राजेश बिस्सा॰॰॰॰ 20-03-2009

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